Tuesday, February 2, 2010

Jhandian Kalan (झांडिया कलां


Jhandian Kalan (झांडिया कलां) : गाव झांडिया कलां तहसील श्री आनंदपुर साहिब जिला रूपनगर(पंजाब) के मंडल नूरपुर बेदी में शिवालिक की पहाडियों के साथ साथ बसा हुआ हैं ।

1947 में देश आज़ाद होने के बाद गाव माजरा तथा झांडिया एक ही पंचायत के द्वारा बंदित थे । बाद में सन 1994 में दोनों गाव की पंचायत अलग होने के बाद गाव माजरा का नाम बदल कर झांडिया कलां तथा गाव झांडिया का नाम झांडिया खुर्द रखा गया ।
झांडिया कलां गाव अस्तित्व में आने से पहले इन दोनों गाव का पहला सरपंच श्री अमरु चौहान रहे । इन के बाद श्री संत राम (सन्तु ) मीलू ,सोडी सिंह ,ओमकार सिंह ,शिवचंद हकला ,सूबेदार शिव राम ,बिशन दास गोरसी , श्रीमती ज्ञान कौर, श्री राधे शाम चौहान,श्रीमती ज्ञान कौर तथा मोजूद में श्री ग्यान चंद गाव के सरपंच है ,जो की 3 जुलाई 2013 को 570 वोट ले कर गाव के सरपंच बने  ।

झांडिया गाव सन 1980 से "बैलो की दौड़" के लिए मशुर रहा हैं । आज कल यह दौड़े साल में दो बार होती हैं । इस दौड़ो को श्री राम सिंह पुत्र श्री किरपा सिंह द्वारा 1980 में शुरू किया गया जिस का 2010 में 30 व वर्ष है ।
सन 1997 से जनवरी के पहले हफ्ते में यह दौड़े श्री लायक राम चौहान पुत्र अछर राम, श्री हरि राम पुत्र लाबू राम ,श्री दुर्गा राम पुत्र बेली राम द्वारा करवाई जाती है ।

इस गाव में गुज्जर ,तरखान तथा हरिजन रहते है। जिन में चौहान बास (कलारू) , तरखान बास ,हरिजन बास ,हकला बास ,भुम्बला बास ,चेची बास, कसाना बास , भाटिया बास तथा मीलू बास प्रमुख हैं ।
जहा यह गाव काफी विराद्रिया बास करती है वाही यह धार्मिक कार्य के लिए भी जाना जाता है । इस गाव में श्री विश्वकर्मा मंदिर है जिस में हर साल विश्वर्मा दिन बड़ी ही श्रधा तथा उलास के साथ मनाया जाता है जिसे खास कर तरखान बास के लोग आयोजित करते है ।
गाव में बाबा लखदाता मंदिर भी है जहा हर गुरुवार को गुड तथा मक्की की रोटी का चूरमा का भोग लगाया जाता है।
इस गाव में कई महापुर्शो का जन्म हुआ है जेसे की श्री बाबा राम किशन जी जिसे बाबा बालक नाथ जी ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए तथा इस के बाद उन का जीवन ही बदल गया । आज उन की गुरु गर्दी पर उन के ही सपुत्र श्री बाबा वीरू बगत जी विराज मान है जो बाबा जी की महिमा को चार चाँद लगा रहे है ।
इस के इलावा गाव के मध्य में बाबा गुरदास भाटिया है जो भी बाबा बद्भाग सिंह जी के भक्त है । इन के पास भी दूर-दूर से संगते हर साल माथा टेकने के लिए आती है तथा हर साल ही बड़ा बंडारा होता है ।
सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज भूरीवाले के वर्तमान गुर्ग्दीनशीं वेदांत चार्य
स्वामी चेतना नंद जी महाराज का यह जन्म स्थान के रूप में पूजनीय स्थान है । यहाँ गाव के बाहर महाराज भूरीवाले की कुट्टिया भी है जहा पर हर साल जगत गुरु बाबा गरीबदास जी की बाणी के 8 भोग डाले जाते है जिस में "कबीर जयंती " तथा पूर्णिमा प्रमुख है ।

हर साल बाबा त्यागी जी महाराज द्वारा जनवरी महीने में विशव शांति के लिए 41 दिन का हमन यज्ञ सन 2004 से करवाया जा रहा है जिस में 40 -50 पंडित उत्तराखंड से आते है । यह हमन जंगल में शिवालिक पहाडियों के बिच "रेसिया" पहाड़ी पर करवाया जाता है ।

इन सब के इलावा गाव में एक गौशाला तथा एक डेम (Dam) भी है । इस डेम के पास हकला ,मीलू तथा भाटिया बॉस का आपना मंदिर भी है जहा पर हर नव विवाहित जोड़ी माथा टेकती है ।

1 comment:

  1. ਕਿਆ ਅੰਤ ਏ ਝਾੰਡਿਆ ਕਲਾਂ ਦਾ ਬਾਈ

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